"ज़िन्दगी तो ऐसे ही बेजार है,
ज़िन्दगी तो ऐसे ही बेकार है ,
कुछ अलग करके दो दिन लोगों का हसना सहन कर लेने में बुराई ही क्या है ।
मुकम्मल हो गया वो सिलसिला तो मोज है,
मुकम्मल ना हुआ वो सिलसिला तो फर्क ही क्या पड़ने वाला है ,
ज़िन्दगी तो वैसे ही बेजार है ।
_soumya ranjan naik
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