कतार सी उमड़ी ज़हन में सवालों की, सुलझाऊँ उन्हें या

"कतार सी उमड़ी ज़हन में सवालों की, सुलझाऊँ उन्हें या ज़िन्दगी जीऊँ, समझ नही आता। उनकी ख़ताओं से ख़फ़ा रहूँ, या ख़फ़ा उनका होना ख़ता समझूँ, समझ नही आता। रविकुमार"

 कतार सी उमड़ी ज़हन में सवालों की,
सुलझाऊँ उन्हें या ज़िन्दगी जीऊँ,
समझ नही आता।
उनकी ख़ताओं से ख़फ़ा रहूँ,
या ख़फ़ा उनका होना ख़ता समझूँ,
समझ नही आता।
रविकुमार

कतार सी उमड़ी ज़हन में सवालों की, सुलझाऊँ उन्हें या ज़िन्दगी जीऊँ, समझ नही आता। उनकी ख़ताओं से ख़फ़ा रहूँ, या ख़फ़ा उनका होना ख़ता समझूँ, समझ नही आता। रविकुमार

#unfaithful

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