मकरूह के खातिर हम सिरफिरे शबाब छोड़ आए, रूह के स | हिंदी Shayari Video

"मकरूह के खातिर हम सिरफिरे शबाब छोड़ आए, रूह के सुकून के खातिर आंखो का लब्बोलुआब छोड़ आए, इक यही महकती है उसकी खुशबू जैसी, मुर्शद हम चाय के खातिर महफिलों शराब छोड़ आए, ©Kumar_ismail _official "

मकरूह के खातिर हम सिरफिरे शबाब छोड़ आए, रूह के सुकून के खातिर आंखो का लब्बोलुआब छोड़ आए, इक यही महकती है उसकी खुशबू जैसी, मुर्शद हम चाय के खातिर महफिलों शराब छोड़ आए, ©Kumar_ismail _official

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