Unsplash चलते रहो तुम चलते रहो, ................. | हिंदी कविता

"Unsplash चलते रहो तुम चलते रहो, ............................................................. चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह खिलते रहो,, सीने में आग ले आशाहीनता का परित्याग ले, कठिनाईओं को मलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.............। मसलना चाहेगी तुम्हें ये दुनिया अपने राजनीति के पैरों से, पर तुम कर्म करते रहो मतलब न रखो किसी गैरों से, बनने के लिए खरा सोना तुम इम्तिहान कि आग में जलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.........। गिरने से तुम डरो नहीं क्यूंकि रीति है ये सृष्टि का, ढल कर उगना फिर चमकना नियम है प्रकृति का, सूर्य कि तरह तुम फिर से उगो चाहे कितना भी ढलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.........। कोशिशें इक दिन तुम्हारी जरूर निखर जाएगी, तुम्हें तुम्हारी सफलता के सिखर तक पहुंचाएगी, जीवन में सदा तुम फूलते और फलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह खिलते रहो। ©Rajputana Ayush Singh Chauhan"

 Unsplash  चलते रहो तुम चलते रहो,
.............................................................
चलते रहो तुम चलते रहो,
सदा फूलों कि तरह खिलते रहो,, 
सीने में आग ले आशाहीनता का परित्याग ले, 
कठिनाईओं को मलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह.............।
मसलना चाहेगी तुम्हें ये दुनिया अपने राजनीति के पैरों से, 
पर तुम कर्म करते रहो मतलब न रखो किसी गैरों से,
 बनने के लिए खरा सोना तुम इम्तिहान कि आग में जलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह.........।
गिरने से तुम डरो नहीं क्यूंकि रीति है ये सृष्टि का, 
ढल कर उगना फिर चमकना नियम है प्रकृति का,
 सूर्य कि तरह तुम फिर से उगो चाहे कितना भी ढलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो, 
सदा फूलों कि तरह.........। 
कोशिशें इक दिन तुम्हारी जरूर निखर जाएगी,
 तुम्हें तुम्हारी सफलता के सिखर तक पहुंचाएगी, 
जीवन में सदा तुम फूलते और फलते रहो,
 चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह खिलते रहो।

©Rajputana Ayush Singh Chauhan

Unsplash चलते रहो तुम चलते रहो, ............................................................. चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह खिलते रहो,, सीने में आग ले आशाहीनता का परित्याग ले, कठिनाईओं को मलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.............। मसलना चाहेगी तुम्हें ये दुनिया अपने राजनीति के पैरों से, पर तुम कर्म करते रहो मतलब न रखो किसी गैरों से, बनने के लिए खरा सोना तुम इम्तिहान कि आग में जलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.........। गिरने से तुम डरो नहीं क्यूंकि रीति है ये सृष्टि का, ढल कर उगना फिर चमकना नियम है प्रकृति का, सूर्य कि तरह तुम फिर से उगो चाहे कितना भी ढलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह.........। कोशिशें इक दिन तुम्हारी जरूर निखर जाएगी, तुम्हें तुम्हारी सफलता के सिखर तक पहुंचाएगी, जीवन में सदा तुम फूलते और फलते रहो, चलते रहो तुम चलते रहो, सदा फूलों कि तरह खिलते रहो। ©Rajputana Ayush Singh Chauhan

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