अक्स अपना देखती हूं,हुबहू अपनी बिटिया में,
वो भी उड़ना चाहती है पंख लगाकर
जमीं पर है मगर आसमां पर निगाह रखती है,
अच्छी बुरी हर बात का हिसाब रखती है,
दिल नही दुखाती किसी का सबका लिहाज रखती है
छोटे से दिल में बड़े से अरमां रखती है।
©Shivani Sharma
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