Unsplash शुभ कर्म से ही शुभ जीवन बनता है, शुभ जीवन | हिंदी Bhakti

"Unsplash शुभ कर्म से ही शुभ जीवन बनता है, शुभ जीवन से आत्म बल मिलता है। आत्म बल से ही मनोबल बढ़ता है, मनोबल बढ़ने से भाग्य संवरता है। भाग्य संवरने से आनंद मिलता है, आनंद मिलने से संताप दूर होता है। संताप दूर होने से ध्यान लगता है, ध्यान लगने से ही मन शुद्ध होता है। मन शुद्ध होने पर भक्ति भाव जगता है, भक्ति जगने पर परब्रम्ह प्राप्त होता है। परब्रम्ह प्राप्त होने पर वैराग्य जगता है, वैराग्य जगने पर संसार तुच्छ लगता है। संसार तुच्छ लगने पर ईश्वर मिलता है, ईश्वर मिलने पर मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्ष मिलने से आवागमन चक्र टूटता है, तत्पश्चात प्रभु का स्नेह भी मिल जाता है। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005"

 Unsplash शुभ कर्म से ही शुभ जीवन बनता है,
शुभ जीवन से आत्म बल मिलता है।
आत्म बल से ही मनोबल बढ़ता है,
मनोबल बढ़ने से भाग्य संवरता है।
भाग्य संवरने से आनंद मिलता है, 
आनंद मिलने से संताप दूर होता है। 
संताप दूर होने से ध्यान लगता है,
ध्यान लगने से ही मन शुद्ध होता है।
मन शुद्ध होने पर भक्ति भाव जगता है,
भक्ति जगने पर परब्रम्ह प्राप्त होता है।
परब्रम्ह प्राप्त होने पर वैराग्य जगता है,
वैराग्य जगने पर संसार तुच्छ लगता है।
संसार तुच्छ लगने पर ईश्वर मिलता है,
ईश्वर मिलने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
मोक्ष मिलने से आवागमन चक्र टूटता है, 
तत्पश्चात प्रभु का स्नेह भी मिल जाता है।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005

Unsplash शुभ कर्म से ही शुभ जीवन बनता है, शुभ जीवन से आत्म बल मिलता है। आत्म बल से ही मनोबल बढ़ता है, मनोबल बढ़ने से भाग्य संवरता है। भाग्य संवरने से आनंद मिलता है, आनंद मिलने से संताप दूर होता है। संताप दूर होने से ध्यान लगता है, ध्यान लगने से ही मन शुद्ध होता है। मन शुद्ध होने पर भक्ति भाव जगता है, भक्ति जगने पर परब्रम्ह प्राप्त होता है। परब्रम्ह प्राप्त होने पर वैराग्य जगता है, वैराग्य जगने पर संसार तुच्छ लगता है। संसार तुच्छ लगने पर ईश्वर मिलता है, ईश्वर मिलने पर मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्ष मिलने से आवागमन चक्र टूटता है, तत्पश्चात प्रभु का स्नेह भी मिल जाता है। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005

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