कमीने यार नाक का भी के बड़ा और के छोटा,, जिस म आव ब | हिंदी शायरी
"कमीने यार नाक का भी के बड़ा और के छोटा,,
जिस म आव बस एक-दो ग्राम का कोका।
बावली,दिल बड़ा होया कर स मानसा का,,
दोस्तां की आण-बाण ख़ातर जो छोड़ता ना कोए मौका।।"
कमीने यार नाक का भी के बड़ा और के छोटा,,
जिस म आव बस एक-दो ग्राम का कोका।
बावली,दिल बड़ा होया कर स मानसा का,,
दोस्तां की आण-बाण ख़ातर जो छोड़ता ना कोए मौका।।