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तेरे आँखों की कजरारी,
बात करे मुझसे मतवाली,
तेरे झुमके की याद जो आती है,
मेरी सांसे सांस लेने से डरती है,
विरह ही लिखा है जीवन मे,
प्यार है बस अब दोनो के मन मे,
साथ तो जी ना सकेंगे,
कभी एक ना हो सकेंगे,
रूप तेरा ऐसे महके,
जैसे मधुशाला मे कोई बहके,
तुझे देखते ही छाती है मदहोशी,
जैसे नशे की तुम हो कोई शीशी,
*कुंदन राज दत्ता "निश्छल"*
©आगाज़
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