मनाने की कोशिशें हजार करते हे, सुबह से लेकर शाम कर | हिंदी शायरी

"मनाने की कोशिशें हजार करते हे, सुबह से लेकर शाम करते है। रोते तो बहुत हे तेरी याद में, बस ये गुनाह हम सरेआम करते है।। ©Prem Prajapat"

 मनाने की कोशिशें हजार करते हे,
सुबह से लेकर शाम करते है।
रोते तो बहुत हे तेरी याद में,
बस ये गुनाह हम सरेआम करते है।।

©Prem Prajapat

मनाने की कोशिशें हजार करते हे, सुबह से लेकर शाम करते है। रोते तो बहुत हे तेरी याद में, बस ये गुनाह हम सरेआम करते है।। ©Prem Prajapat

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