में टूट जाऊ उस से पहले वो टूट के भिखर गए
एक अजीज शक्श हे मेरा
जो मेरी खातिर मुझसे ही रूठ गया।।
हम उसकी एक झलक को बेताब रहते हे
जाने बात क्या हुई वो नजरे उठाना भूल गया
उसकी ये बेरुखी इस कदर दिलपे छा गई के
महफिलें मुस्कुराहट में हम मुस्कुराने भूल गए ।।
©Abhishek Khunt "અજ્ઞેય"
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