मिलना और बिछड़ना सब,
कुदरत की कहानी है,
नसीब मेरा मुझसे रुठ़ा,
जो अपने बिछड़ गए मुझसे,
मैं लिख दूं दर्द को अपने,
तो रोना आएगा तुमको,
मेरी कहानी का हर पन्ना,
तुम को भी सताएगा,
मैं अकेली राह में चलती हूं,
तो रास्ते पीछे छूटते हैं,
पेड़ के पते गिरतें है,
तो वो भी पेड़ से बिछड़ते हैं,
पक्षियों के घोंसले टूटते हैं,
तो वो भी घरों से बिछड़ते हैं
बेटी मायके से बिछड़ती है,
बेटा भी घर परिवार से बिछड़ता है।
©Meenakshi Sharma
बिछड़ना