आज हर गली मोहल्ले में बैठे कुछ दरिंदे इस तक में | | हिंदी कविता

"आज हर गली मोहल्ले में बैठे कुछ दरिंदे इस तक में | मौका मिलते ही लूट ले इज्जत भारी बाजार में || ना डर है ना भय इनको बेख़ौफ़ घुमते दिख जाएंगे इस कलयुगी संसार में | बेखौफ दरिंदे घूम रहे हैं | हम और आप बने मुख दर्शक हैं || चलो अपनी बेटियों को मां काली का पाठ सिखाएं आए इज्जत पर आंच अगर तो धड़ से शीश काट कर लाए|| ©Rahul Rajbhar"

 आज हर गली मोहल्ले में बैठे कुछ दरिंदे इस तक में | 
मौका मिलते ही लूट ले इज्जत भारी बाजार में ||

 ना डर है ना भय इनको बेख़ौफ़ घुमते दिख जाएंगे इस कलयुगी  संसार में |

 बेखौफ दरिंदे घूम रहे हैं |
 हम और आप बने मुख दर्शक हैं ||

चलो अपनी बेटियों को मां काली का पाठ सिखाएं  आए इज्जत पर आंच अगर तो धड़ से शीश काट कर लाए||

©Rahul Rajbhar

आज हर गली मोहल्ले में बैठे कुछ दरिंदे इस तक में | मौका मिलते ही लूट ले इज्जत भारी बाजार में || ना डर है ना भय इनको बेख़ौफ़ घुमते दिख जाएंगे इस कलयुगी संसार में | बेखौफ दरिंदे घूम रहे हैं | हम और आप बने मुख दर्शक हैं || चलो अपनी बेटियों को मां काली का पाठ सिखाएं आए इज्जत पर आंच अगर तो धड़ से शीश काट कर लाए|| ©Rahul Rajbhar

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