आँखों ही आँखों में इश्क लड़ाने आते हैं।
वो मुहब्बत हमसे बेइंतेहा जताने आते हैं।
सुर - ताल से तो कोई राब्ता नहीं है उनका,
फिर भी हमें रिझाने को गुनगुनाने आते हैं।
यूं तो हम उन्हें हर लिबास में अच्छे लगते हैं,
फिर भी दुल्हन - सा वो हमें सजाने आते हैं।
बेरूखी भी कमाल की है हमारे महबूब की,
न मिलने के भी उन्हें हजारों बहाने आते हैं।
हर "गीत" ग़ज़ल में लिखकर के नाम उनका,
हम अपने रूठे हुए महबूब को मनाने आते हैं।
©Sneha Agarwal 'Geet'
#स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet
#साहित्य_सागर #sahityasagar
#रूबरू_है_जिंदगी