जिंदा हूं मैं मगर फिर भी मरा हूं मैं, टूटा नहीं हू | हिंदी Poetry

"जिंदा हूं मैं मगर फिर भी मरा हूं मैं, टूटा नहीं हूं मगर अंदर से बिखरा हूं मैं, जिंदगी का यही तो दस्तूर है, कोई टूट कर बिखर जाता है, तो कोई बिखर कर जी जाता है। ©Heer"

 जिंदा हूं मैं मगर फिर भी मरा हूं मैं,
टूटा नहीं हूं मगर अंदर से बिखरा हूं मैं,
जिंदगी का यही तो दस्तूर है,
कोई टूट कर बिखर जाता है,
तो कोई बिखर कर जी जाता है।

©Heer

जिंदा हूं मैं मगर फिर भी मरा हूं मैं, टूटा नहीं हूं मगर अंदर से बिखरा हूं मैं, जिंदगी का यही तो दस्तूर है, कोई टूट कर बिखर जाता है, तो कोई बिखर कर जी जाता है। ©Heer

#टूटना_बिखरना

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