हम कभी अंधे, कभी गूंगे, कभी बहरे रहे। हमारे सब से रिश्ते इसलिए गहरे रहे।।
कई काबिल नहीं फिर भी उन्हें काबिल कहा। कई फ़ाजिल नहीं फिर भी उन्हें फ़ाजिल कहा ।।
जहाँ कुछ बोल सकते थे वहाँ बोले नहीं। बहुत खुलकर कहीं जो था वही खोले नही ।।
हमारी बात पर खुद के बहुत पहरे रहे। हमारे सब से रिश्ते इसलिए गहरे रहे ।।
©Pushpendra Singh
#brokenbond sad love