सुनो!
क्या तुम फिर नही आ सकते
मेरी ज़िंदगी मे
वो पहली बारिश की तरह,
जिसमें भीगे थे मेरे एहसास सभी
जिसकी सोंधी महक में खो गई थी मैं
जिसकी धुन पर थिरक उठी थी मेरी धड़कन
जिसके पहलू में पा लिया था मैंने बचपन
जिसके आने से झुक गई थी पलकें मेरी
जिसके लबों पर सुना था नाम मेरा सरगम
बोलो न!
क्या आओगे मेरी ज़िन्दगी में,
मेरी पहली बारिश बनकर।।
©Rooh_Lost_Soul
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