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-वो तुम्हें धोखा दे रहा है माँ ने चिल्लाते हुए कहाँ .
-पर माँ हम प्रेम करते हैं और वो धोखा नहीं दे रहा है मुझे! वो प्रेम करता है मुझसे!. .
-आँखों पर प्रेम का पर्दा तुम्हें मृत्यु के दरवाज़े पर लाकर खड़ा कर देगा, माँ ने फिर घबराई सी आवाज़ मे गला कुछ भारी कर बोला!
- माँ मैं जानती हूँ सब, पर अब कैसे रहूँ उसके बिना वो मेरा ना हो सका परन्तु मैं तो उसकी हो गई ना (रूदन करते हुए) .
- मैं पहले ही बोलती थी दुर रहो पर नही प्रेम का भूत चढ़ा तो मान मर्यादा का भी ख़्याल ना रहा, अब समाज मुझपर अंकुश लगाएगा की मैने परवरिश नहीं की तुम्हारी!
- पर माँ उसने कहाँ था वो उम्र भर साथ रहेगा सारे वचन निभाएगा, ब्याह कर मुझे अपनी अर्धांगिनी बनाएगा! .
- तो अब कहाँ है? क्यों नहीं आता तुमसे मिलने, तुम्हारी ख़बर लेने और यह बच्चा इसका क्या?! तुम मुझे ज़हर दे दो क्योंकि मुझे दुनिया अब नही जीने देगी व्यंग कसेगी मुझपर और तुम्हारा चरित्र पर ना जाने कितने लांछन लगाएगी! .
- माँ तुम जानती हो तुम्हारे बिना मेरा और कोई नहीं है तुम तो एेसी बात मत करो (सिसकती हुई आवाज़ में) .- तुम्हारा प्रेम है जाओ उसके पास मर गई तुम्हारी माँ कलंकित हो गई हैं समाज की नज़रो में! .
- कुछ समय का मौन... जाओ सो जाओ मुझे तुम्हारी शक्ल नहीं देखनी माँ ने कुछ रोती सी शक्ल के साथ विवशता पूर्ण होकर बोला और चली गई..
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अगली सुबह माँ के हाथ लगा एक पत्र और लटकता फंदा!
जिसपर गला एक था और आत्माएं दो, हाँ वह मर चुकी थी....
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पत्र में लिखा था... मैं पूछती हूँ समाज से अगर इश्क़ और जंग में सब जायज है तो मेरी कोख की औलाद नाजायज़ कैसे हुई ,मेरी माँ कलंकित क्यूँ हुई और क्यूँ झुक गया मेरा सम्मान!
माफ़ी चाहती हूँ मैने कलंकित किया अगर आपको माँ, पर प्रेम के आगे तब कोई समाज नहीं दिखा मुझे , अौर अब मृत्यु के अलावा! माँ तुम मेरी वज़ह से मरो यह मैं नहीं देख सकती तो मेरा मर जाना बेहतर है और वो आए तो कहना कि खुश रहे मैं किसी के दुःख का कारण नहीं बन सकती माँ.... ..
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माँ ज़ोर ज़ोर से विलाप करती और कहती, कहा था मैने यह प्रेम मृत्यु तक ले जाएगा और वही हुआ! मैंने प्रेम में तुम्हें चुना था पर तुमने मृत्यु!! .
written by kajal tiwari ✍️❣️
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