चल पड़ा वो पथ पर अपन; रुकना उसने सीखा नहीं। सही | हिंदी कविता

"चल पड़ा वो पथ पर अपन; रुकना उसने सीखा नहीं। सही प्रताड़नाएं न जाने कितनी? अपना दिल माटी के नाम किया। किया रुख रशिया का उसने; जर्मनी उसको जाना पड़ा । मिला सहयोग हिटलर का उसको; फिर जापान में उसने डेरा किया। "तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा," बोल कर। आजाद हिंद फौज का निर्माण किया , "जयहिंद" की गूंज म्यांमार तक उसकी गूंज उठी। तिरंगा फतह हुआ मणिपुर में; रूह हुकूमत की काँप उठी। ली करवट वक्त ने फिर से; आजादी दिलो दिमाग में छा गई। सेना विद्रोह कर गई; अंग्रेजी ताकत घबराई। हुकूमत ने घुटने टेक दिए; ऐसे सुभाष की मेहनत काम आई। स्वतंत्र भारत में सूर्य चमका; सबके चेहरे पर मुस्कान आई।। -शीतल शेखर ©Sheetal Shekhar"

 चल पड़ा वो  पथ पर अपन;
रुकना उसने सीखा नहीं।

सही  प्रताड़नाएं  न  जाने  कितनी?
अपना दिल माटी के नाम किया।

किया रुख रशिया का उसने;
जर्मनी  उसको जाना पड़ा ।

मिला सहयोग  हिटलर  का  उसको;
फिर जापान में उसने डेरा किया।

"तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा,"
बोल कर।

आजाद हिंद फौज का निर्माण किया ,
                 "जयहिंद" 
की गूंज म्यांमार तक उसकी गूंज उठी।

तिरंगा फतह हुआ मणिपुर में; 
रूह हुकूमत की काँप उठी।

ली करवट वक्त ने फिर से;
आजादी दिलो दिमाग में छा गई।

सेना विद्रोह कर गई;
अंग्रेजी ताकत घबराई।

हुकूमत ने घुटने टेक दिए;
ऐसे सुभाष की मेहनत काम आई।

स्वतंत्र  भारत में सूर्य चमका;
सबके चेहरे पर मुस्कान आई।।
-शीतल शेखर

©Sheetal Shekhar

चल पड़ा वो पथ पर अपन; रुकना उसने सीखा नहीं। सही प्रताड़नाएं न जाने कितनी? अपना दिल माटी के नाम किया। किया रुख रशिया का उसने; जर्मनी उसको जाना पड़ा । मिला सहयोग हिटलर का उसको; फिर जापान में उसने डेरा किया। "तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा," बोल कर। आजाद हिंद फौज का निर्माण किया , "जयहिंद" की गूंज म्यांमार तक उसकी गूंज उठी। तिरंगा फतह हुआ मणिपुर में; रूह हुकूमत की काँप उठी। ली करवट वक्त ने फिर से; आजादी दिलो दिमाग में छा गई। सेना विद्रोह कर गई; अंग्रेजी ताकत घबराई। हुकूमत ने घुटने टेक दिए; ऐसे सुभाष की मेहनत काम आई। स्वतंत्र भारत में सूर्य चमका; सबके चेहरे पर मुस्कान आई।। -शीतल शेखर ©Sheetal Shekhar

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