चल पड़ा वो पथ पर अपन;
रुकना उसने सीखा नहीं।
सही प्रताड़नाएं न जाने कितनी?
अपना दिल माटी के नाम किया।
किया रुख रशिया का उसने;
जर्मनी उसको जाना पड़ा ।
मिला सहयोग हिटलर का उसको;
फिर जापान में उसने डेरा किया।
"तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा,"
बोल कर।
आजाद हिंद फौज का निर्माण किया ,
"जयहिंद"
की गूंज म्यांमार तक उसकी गूंज उठी।
तिरंगा फतह हुआ मणिपुर में;
रूह हुकूमत की काँप उठी।
ली करवट वक्त ने फिर से;
आजादी दिलो दिमाग में छा गई।
सेना विद्रोह कर गई;
अंग्रेजी ताकत घबराई।
हुकूमत ने घुटने टेक दिए;
ऐसे सुभाष की मेहनत काम आई।
स्वतंत्र भारत में सूर्य चमका;
सबके चेहरे पर मुस्कान आई।।
-शीतल शेखर
©Sheetal Shekhar
#Netaji_Subhas_Chandra_Bose Hinduism