हम इतनेभी बुरे नही, जितना जमाना समजता है। हर बिखरे | हिंदी शायरी

"हम इतनेभी बुरे नही, जितना जमाना समजता है। हर बिखरे आशियाने का, एक अपना फसाना रहता है।"

 हम इतनेभी बुरे नही,
जितना जमाना समजता है।
हर बिखरे आशियाने का,
एक अपना फसाना रहता है।

हम इतनेभी बुरे नही, जितना जमाना समजता है। हर बिखरे आशियाने का, एक अपना फसाना रहता है।

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