बाबा साहिब जी अंबेडकर चाहती है तुम्हें हर नज़र
पुलकित है ये मन तुम्हें करते नमन है कहानी तुम्हारी अमर
सन् अठारह सौ इक्यानवे चौदह अप्रैल को आप जन्मे
रामजी सकपाल पिता भीमाबाई थी माता
छायी खुशहाली परिवार में दिया अनमोल भगवन ने वर
चमकी तकदीर सकपाल घर
पुलकित है ये मन तुम्हें करते नमन है कहानी तुम्हारी अमर
बाबा साहिब जी अंबेडकर.....
भेद भाव था वतन में बड़ा सामाजिक था संकट खड़ा
आंदोलन किया सबको हक है दिया सारे जग में है नाम बड़ा
कुप्रथाओं का जीता समर जन-जन पर तुम्हारा असर
पुलकित है ये मन तुम्हें करते नमन है कहानी तुम्हारी अमर
बाबा साहिब जी अंबेडकर.....
श्रमिकों के मसीहा बने दुख के बादल थे इन पर घने
है किसानों को भी पीछे किया ना कभी
नारियों के समर्थक बने संविधान के रचयिता अमर
सबसे अलग थी तुम्हारी डगर
पुलकित है ये मन तुम्हें करते नमन है कहानी तुम्हारी अमर
बाबा साहिब जी अंबेडकर.....
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