#कवि
यू तो हर रोज कई लोग खुशियां मनाते है
कुछ दुख सहते-सहते पसीज जाते है
कुछ रोते-रोते थक जाते है
कुछ हंसते-हंसते खो जाते है.....
कुछ गमों को पिरोय आशाओं की माला सजाते है
कुछ दिये जलाए सुखों की दिवाली मनाते है ,
कुछ बेचैन होकर अफलातून बन जाते है
और कुछ ठहरकर स्थिरप्रज्ञ......
और कुछ दुख में भी हंसते है, गाते है , मिलते है....
इस दुख की यात्रा को साकार बनाते है,
और कुछ सुखों में भी दुख बांटते है .....
किंतु कुछ इन सब से परे...
इन दोनों परिस्थितियों में-
-अपनी कलम डायरी लेकर बैठ जाते है
और इन्हे अंकित कर लेते है पंक्तियों में,
और.......
सुख में ठहरकर दुख की प्रतीक्षा करते है ,,
और दुख में सुख की !
"हिमांशु"
©Himanshu Bamniya
# एक कवि