जो मेरी खामोशियों को भी अल्फाज देते हैं, मेरे हर म | हिंदी कविता

"जो मेरी खामोशियों को भी अल्फाज देते हैं, मेरे हर मुसीबतों में वो मेरा साथ देते हैं । पता नहीं कौन सा खास रिश्ता है उनके मेरे दरमियां, अगर मुझे चोट लगे तो मेरे दोस्त ही मरहम का काम देते हैं।। ©Kumar"

 जो मेरी खामोशियों को भी अल्फाज देते हैं,
मेरे हर मुसीबतों में वो मेरा साथ देते हैं ।
पता नहीं कौन सा खास रिश्ता है उनके मेरे दरमियां,
अगर मुझे चोट लगे तो मेरे दोस्त ही मरहम का काम देते हैं।।

©Kumar

जो मेरी खामोशियों को भी अल्फाज देते हैं, मेरे हर मुसीबतों में वो मेरा साथ देते हैं । पता नहीं कौन सा खास रिश्ता है उनके मेरे दरमियां, अगर मुझे चोट लगे तो मेरे दोस्त ही मरहम का काम देते हैं।। ©Kumar

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