हवा सी तेरी जुल्फें, उड़कर जो पास आई मेरे। मुख म | हिंदी शायरी
"हवा सी तेरी जुल्फें,
उड़कर जो पास आई मेरे।
मुख मेरा ऐसे कंम्पित हुआ,
जैसे तुम्हारे हाथों का स्पर्श हुआ।
तुम हवा सी महक रही हो,
मेरी हर सांस में समा रही हो।
अब दूरियों का कोई फर्क नहीं रहा,
क्योंकि तुम हर जगह अब बह रही हो।।"
हवा सी तेरी जुल्फें,
उड़कर जो पास आई मेरे।
मुख मेरा ऐसे कंम्पित हुआ,
जैसे तुम्हारे हाथों का स्पर्श हुआ।
तुम हवा सी महक रही हो,
मेरी हर सांस में समा रही हो।
अब दूरियों का कोई फर्क नहीं रहा,
क्योंकि तुम हर जगह अब बह रही हो।।