माहवारी
प्रकृति ने जिस तरह तुम्हें पिरोया है
वो गर्व है तुम्हारा नारी...
किंचित ये खेद होता है तुम्हें जब असहाय सी लगती
हो तुम पुरुष से....
पर मन को वेग दो नारी
तुम सदैव आगे रहोगी पुरुष से
माहवारी की शंका को अभिशाप न समझ
ये निश्चित ही तुम्हारा प्राण है....
इसे निराधार न समझ
जगत के चलन को जो आगे बढ़ाए
वो ही आधार हो तुम!
नारी तुम ही प्राण हो जीवन का
©preetdas dewal
#feelings