बेशर्त दोस्ती शर्त उस दोस्ती की क्या बताएं दोस्तों | हिंदी शायरी

"बेशर्त दोस्ती शर्त उस दोस्ती की क्या बताएं दोस्तों, मुस्कान के सिवा जिसने कभी कुछ मांगा ही नहीं, पल में रूठना पल में मान जाना इसके सिवा कुछ भाता ही नहीं, एक को छेड़कर सबका खिलखिला कर मुस्कुरा देना, मासूम उन मुस्कुराहटों की सिवा कुछ आता भी तो नहीं, ऊंच-नीच का भेदभाव जरा भी दिल समझ पाता ही नहीं, ना जाने कहां खो गई वह बेशर्त दोस्ती जमाने की इस कड़वाहट में, अब उन लम्हों की धूंधली यादों के सिवा दिल में कुछ बचा भी तो नहीं।"

 बेशर्त दोस्ती शर्त उस दोस्ती की क्या बताएं दोस्तों,
मुस्कान के सिवा जिसने कभी कुछ मांगा ही नहीं,
पल में रूठना पल में मान जाना इसके सिवा कुछ भाता ही नहीं,
एक को छेड़कर सबका खिलखिला कर मुस्कुरा देना,
मासूम उन मुस्कुराहटों की सिवा कुछ आता भी तो नहीं,
ऊंच-नीच का भेदभाव जरा भी दिल समझ पाता ही नहीं,
ना जाने कहां खो गई वह बेशर्त दोस्ती जमाने की इस कड़वाहट में,
अब उन लम्हों की धूंधली यादों के सिवा दिल में कुछ बचा भी तो नहीं।

बेशर्त दोस्ती शर्त उस दोस्ती की क्या बताएं दोस्तों, मुस्कान के सिवा जिसने कभी कुछ मांगा ही नहीं, पल में रूठना पल में मान जाना इसके सिवा कुछ भाता ही नहीं, एक को छेड़कर सबका खिलखिला कर मुस्कुरा देना, मासूम उन मुस्कुराहटों की सिवा कुछ आता भी तो नहीं, ऊंच-नीच का भेदभाव जरा भी दिल समझ पाता ही नहीं, ना जाने कहां खो गई वह बेशर्त दोस्ती जमाने की इस कड़वाहट में, अब उन लम्हों की धूंधली यादों के सिवा दिल में कुछ बचा भी तो नहीं।

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