हम मस्जिदो मिम्बर के निगहबान कैसे हैं।
दिल अब भी ना पिघलेगा तो इंसान कैसे हैं।
माना के फ़लस्तीन से हम दूर हैं लेकिन।
हम दुआ भी ना करें तो मुसलमान कैसे हैं।
तस्लीम
ہم مسجد و ممبر کے نگہبان کیسے ہیں
دِل اب بھی نہ پگھلے گا تو انسان کیسے ہیں
مانا کہ فلسطین سے ہم دور ہیں لیکن
ہم دعا بھی نہ کریں تو مسلمان کیسے ہیں
تسلیم
©Tasleem wais تسلىم