आज में जितना समेट सको बस उतना ही तुम्हारा है कल का | हिंदी शायरी

"आज में जितना समेट सको बस उतना ही तुम्हारा है कल का जो था बीत चुका और कल का तो कल ही आना है"

 आज में जितना समेट सको
बस उतना ही तुम्हारा है
कल का जो था बीत चुका
और कल का तो कल ही आना है

आज में जितना समेट सको बस उतना ही तुम्हारा है कल का जो था बीत चुका और कल का तो कल ही आना है

waqt
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