White कभी मिलो तो डर न जाना,
अहंकार से ऊंचे शिखर पर बैठे,
जब पाओगे खुद को अकेले,
कर्मों के वेग से सहम न जाना।
लावा के उबाल को थामे,
कंकर फेक मुसकान यूं बांधे ,
टूट जाए आत्मजवाला के घेरे ,
कांपे मन, इंद्रियां छोड़ ये मेले,
साथ ढूंढते पथभ्रष्ट न जाना।
भूमि को चोट से सींचे
दरारों को स्वार्थ में खींचे
कोलाहल में बीज ये बिखरे,
विषधर से संभल जाना,
कभी मिलो तो डर न जाना।।
©Vishal Pandey
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