#एक_कविता_ही_है_जो
केवल कविता ही है,
जो मुझे ज़िंदा रखना चाहती है।
केवल कविता ही है,
जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है।
क्योंकि हार की राह में जब भटकता हूं
तब भी मैं कुछ लोगों को खटकता हूं
क्योंकि कविता फिर भी जिता देती है,
क्योंकि कविता फिर भी बिता देती है
दुखभरी प्रत्येक काली रात
और होता है त्वरित प्रभात।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
#एक_कविता_ही_है_जो
केवल कविता ही है,
जो मुझे ज़िंदा रखना चाहती है।
केवल कविता ही है,
जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है।
क्योंकि हार की राह में जब भटकता हूं
तब भी मैं कुछ लोगों को खटकता हूं
क्योंकि कविता फिर भी जिता देती है,