"कहा था मैंने भी एक बार,तुमसे एक बार,
“ हां करती हुं मैं तुमसे बहुत प्यार।”
ना लगाई मैंने तुमसे कोई उम्मीदें
ना ही सुनना तुमसे इज़हार।।
पुराने हैं मेरे तरीक़े जताने को प्यार
आता नहीं मुझे गुलाब के साथ करना इज़हार ।
valentine में मैं विश्वास नहीं रखती
बहराहो मास जता सकती मैं प्यार।।
हां छुपाई ज़रूर थी मैने तुमसे ये बात
ऐसा नहीं था की मुझे मंजूर नहीं तुम्हारा इंकार।
मन ही मन बाते किया करती थी तुमसे हर रात
बातों बातों में पता नहीं कब हुआ इज़हार।।
©_sa _anjh
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