White अपने से भी ज्यादा जिसपे, करके प्रतीति | हिंदी कविता

"White अपने से भी ज्यादा जिसपे, करके प्रतीति मरते रहे | सब बदलेंगे,न बदलेगी, पीट के छाती कहते रहे || रंग वो ऐसा बदल के भागी, दिन में तारे आए नज़र | कुछ न सके कर उस छलिए का, मन ही मन बस जलते रहे || ©कवि प्रभात"

 White अपने से भी ज्यादा जिसपे,
       करके प्रतीति मरते रहे |
सब बदलेंगे,न बदलेगी,
      पीट के छाती कहते रहे ||
रंग वो ऐसा बदल के भागी,
      दिन में तारे आए नज़र |
कुछ न सके कर उस छलिए का, 
    मन ही मन बस जलते रहे ||

©कवि प्रभात

White अपने से भी ज्यादा जिसपे, करके प्रतीति मरते रहे | सब बदलेंगे,न बदलेगी, पीट के छाती कहते रहे || रंग वो ऐसा बदल के भागी, दिन में तारे आए नज़र | कुछ न सके कर उस छलिए का, मन ही मन बस जलते रहे || ©कवि प्रभात

#Sad_Status कविता कोश कुमार विश्वास की कविता

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