साथी बन कर साथ चले जिस के सपना समझ कर उसे भुलाना प | हिंदी शायरी

"साथी बन कर साथ चले जिस के सपना समझ कर उसे भुलाना पड़ा ।।। झूठी खुशी की चाहत मे जीते रहे हम पर गमो से ही दिल लगाना पड़ा।।। ©Sanjay Sanjaykumar"

 साथी बन कर साथ चले जिस के सपना समझ कर उसे भुलाना पड़ा ।।।
झूठी खुशी की चाहत मे जीते रहे हम
पर गमो से ही दिल लगाना पड़ा।।।

©Sanjay Sanjaykumar

साथी बन कर साथ चले जिस के सपना समझ कर उसे भुलाना पड़ा ।।। झूठी खुशी की चाहत मे जीते रहे हम पर गमो से ही दिल लगाना पड़ा।।। ©Sanjay Sanjaykumar

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