White शीर्षक- आदमी मैं नहीं वैसा ----------------- | हिंदी लव

"White शीर्षक- आदमी मैं नहीं वैसा --------------------------------------------------------------------- आदमी मैं नहीं वैसा, जैसा कि तुम मानते हो। हकीकत क्या है मेरी, तुम नहीं जानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा------------------------।। मुझको पसंद नहीं है झूठ, ना झूठ मैं बोलता हूँ। सच को तुम सुनना नहीं चाहते, इसलिए चुप रहता हूँ।। जब भी बोला मैं सच तो, मुझे सच की सजा मिली। इसीलिए हूँ मैं अकेला, यह नहीं जानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा---------------------।। मुझको भी चाहिए खुशी, देखता हूँ ख्वाब ऐसे। मांगें मुझसे सभी खुशियां, इतने हो पास मेरे पैसे।। मतलब मुझको भी चाहिए, शान और शौहरत। मकसद मेरा यह तुम, शायद बुरा मानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा----------------------।। एक तरफा मोहब्बत क्या, जायज नहीं कहलाती है। प्यार करना गुनाह है क्या, दुनिया किससे चलती है।। लेकिन उससे मेरा प्यार, सच्चा और पवित्र है। नहीं हूँ बेवफा मैं, क्यों सच नहीं मानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma"

 White शीर्षक- आदमी मैं नहीं वैसा
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आदमी मैं नहीं वैसा, जैसा कि तुम मानते हो।
हकीकत क्या है मेरी, तुम नहीं जानते हो।।
आदमी मैं नहीं वैसा------------------------।।

मुझको पसंद नहीं है झूठ, ना झूठ मैं बोलता हूँ।
सच को तुम सुनना नहीं चाहते, इसलिए चुप रहता हूँ।।
जब भी बोला मैं सच तो, मुझे सच की सजा मिली।
इसीलिए हूँ मैं अकेला, यह नहीं जानते हो।।
आदमी मैं नहीं वैसा---------------------।।

मुझको भी चाहिए खुशी, देखता हूँ ख्वाब ऐसे।
मांगें मुझसे सभी खुशियां, इतने हो पास मेरे पैसे।।
मतलब मुझको भी चाहिए, शान और शौहरत।
मकसद मेरा यह तुम, शायद बुरा मानते हो।।
आदमी मैं नहीं वैसा----------------------।।

एक तरफा मोहब्बत क्या, जायज नहीं कहलाती है।
प्यार करना गुनाह है क्या, दुनिया किससे चलती है।।
लेकिन उससे मेरा प्यार, सच्चा और पवित्र है।
नहीं हूँ बेवफा मैं, क्यों सच नहीं मानते हो।।
आदमी मैं नहीं वैसा--------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक- आदमी मैं नहीं वैसा --------------------------------------------------------------------- आदमी मैं नहीं वैसा, जैसा कि तुम मानते हो। हकीकत क्या है मेरी, तुम नहीं जानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा------------------------।। मुझको पसंद नहीं है झूठ, ना झूठ मैं बोलता हूँ। सच को तुम सुनना नहीं चाहते, इसलिए चुप रहता हूँ।। जब भी बोला मैं सच तो, मुझे सच की सजा मिली। इसीलिए हूँ मैं अकेला, यह नहीं जानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा---------------------।। मुझको भी चाहिए खुशी, देखता हूँ ख्वाब ऐसे। मांगें मुझसे सभी खुशियां, इतने हो पास मेरे पैसे।। मतलब मुझको भी चाहिए, शान और शौहरत। मकसद मेरा यह तुम, शायद बुरा मानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा----------------------।। एक तरफा मोहब्बत क्या, जायज नहीं कहलाती है। प्यार करना गुनाह है क्या, दुनिया किससे चलती है।। लेकिन उससे मेरा प्यार, सच्चा और पवित्र है। नहीं हूँ बेवफा मैं, क्यों सच नहीं मानते हो।। आदमी मैं नहीं वैसा--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

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