हम तो रात के परिंदे है जनाब
जो सुबह उड़ जाते है और साम तक
बच्चों केखाने का इंतजाम कर के घर लोट आते है
घर आकर बीवी चाहे कितनी ही
ची ची चूं चूं करे सुनकर
सब सह जाते है
फिर बिन कहे चुपचाप सो जाते है
और अगली सुबह फिर उड़ जाते है
हम तो रात के परिंदे है जनाब
जो अंधेरे में जाते हैं और
अंधेरे में आते हैं
©Ved Parkash
#kitaabein