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एक बार नही
बार बार विदा होती है बेटियाँ
जब जब पीहर से जाती है ससुराल
पिता के उदासी भरे चेहरे को देख
दादी अपने पल्लू से चुपके से आंसू पोंछ लेती
दादाजी का हाथ अपने सर पर रखवा कर
माँ के हाथ के अचार पापड़
और ढेर सारी पीहर की अठखेलियाँ बाँधे
अपने पीहर से विदा लेती है
बेटियाँ एक बार नही
बार बार विदा होती है
©Yashvi dhruv prakash
#sad_shayari hindi poetry