काग़ज़ जला रहा हूं, राख बना रहा हूं
अपने दिल में खुद ही आग लगा रहा हूं
न जाने कितना इन्तकाम लेगा खुदा
अपनी तस्वीर मैं खुद ही मिटा रहा हूं
एक ख्वाब है जो बेहद पसंद है मुझको
मगर आंखों से नींद हर रात हटा रहा हूं
थोड़ा वक्त और है कुछ दूर साथ चलो
मैं खुद हीं दुनिया से बहुत दूर जा रहा हूं
©Shivam Veer
life story