दर्द का दरिया
हम प्यार नहीं करते ,ऐसा नहीं है
माफ नहीं कर सकते ,ऐसा भी नहीं है
हाँ, पर भूल नही पाते, उन जख्मों को
जो अपनों ने दिये हैं
आँखों की बंजर जमी के नीचे
एक समंदर हर वक्त रहता है
सिर्फ़ पानी नहीं उसमें
पूरा खून का दरिया बहता है
वो अपने जो मुखौटे में जीते हैं
कभी तो आईना देखते होंगे
कभी तो अपने आप से मिलते होंगे
ये आंसू जो बेवक़्त आता है
प्याज की वजह से नही आता
दर्द का सैलाब, जो सीना चीर जाता है
पलको से लड़ाई में कभी कभार जीत जाता है
और दो चार बूंद आँसू छलक आता है
दर्द का दरिया
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