मेरी सोच से परह निकाला वो, कौन कहता है जख्मों से प | हिंदी Love
"मेरी सोच से परह निकाला वो,
कौन कहता है जख्मों से प्यार नहीं होता।
वो दर्द दे रहा था प्यार के नाम पर ,
और,हम उस दर्द से दिल लगा बैठे ।
जब मरहम लगाने की बारी अयी,
तो हमसे पूछते है कौन हो तुम ?"
मेरी सोच से परह निकाला वो,
कौन कहता है जख्मों से प्यार नहीं होता।
वो दर्द दे रहा था प्यार के नाम पर ,
और,हम उस दर्द से दिल लगा बैठे ।
जब मरहम लगाने की बारी अयी,
तो हमसे पूछते है कौन हो तुम ?