कभी तो चुप तुम रहा करो बस आंखों से ही कहा करो | हिंदी शायरी

"कभी तो चुप तुम रहा करो बस आंखों से ही कहा करो जो दर्द हैं तिरे इस सीने में उसे चुपके चुपके सहा करो यां कोई किसी का नहीं होता जरा दूर सब से रहा करो यां दोस्त भी दुश्मन होते हैं तुम यूँ न सब से मिला करो ये अजनबी शहर है यहाँ जरा संभल कर रहा करो कभी जो कोई मुश्किल हो तुम मुझसे आकर कहा करो रंग बदलते लोगों से रिफ्अत जरा फासले से मिला करो ©Abdullah Rifat"

 कभी  तो चुप तुम रहा  करो
बस आंखों  से ही कहा करो

जो  दर्द  हैं तिरे इस सीने  में 
उसे चुपके  चुपके सहा करो

यां कोई किसी का नहीं होता
जरा  दूर  सब  से  रहा   करो 

यां  दोस्त  भी  दुश्मन होते हैं
तुम  यूँ न  सब से मिला करो

ये  अजनबी   शहर  है   यहाँ
जरा  संभल   कर  रहा  करो

कभी  जो  कोई  मुश्किल हो
तुम  मुझसे आकर कहा करो

रंग बदलते लोगों से रिफ्अत
जरा  फासले  से  मिला करो

©Abdullah Rifat

कभी तो चुप तुम रहा करो बस आंखों से ही कहा करो जो दर्द हैं तिरे इस सीने में उसे चुपके चुपके सहा करो यां कोई किसी का नहीं होता जरा दूर सब से रहा करो यां दोस्त भी दुश्मन होते हैं तुम यूँ न सब से मिला करो ये अजनबी शहर है यहाँ जरा संभल कर रहा करो कभी जो कोई मुश्किल हो तुम मुझसे आकर कहा करो रंग बदलते लोगों से रिफ्अत जरा फासले से मिला करो ©Abdullah Rifat

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