कभी तो चुप तुम रहा करो
बस आंखों से ही कहा करो
जो दर्द हैं तिरे इस सीने में
उसे चुपके चुपके सहा करो
यां कोई किसी का नहीं होता
जरा दूर सब से रहा करो
यां दोस्त भी दुश्मन होते हैं
तुम यूँ न सब से मिला करो
ये अजनबी शहर है यहाँ
जरा संभल कर रहा करो
कभी जो कोई मुश्किल हो
तुम मुझसे आकर कहा करो
रंग बदलते लोगों से रिफ्अत
जरा फासले से मिला करो
©Abdullah Rifat
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