मुसाफिर (संघर्ष गीत)।
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
मिलेगी मंज़िल कटेगे दुःख
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
कोई न समझेगा दुख तेरा
अपने पथ पर आगे बढ़ता चल
आगे बढ़ता चल
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
सियासत के फेरे में ज़िन्दगी उलझी है
तुझे ना झुकना है ना थकना है
बस चलना है
बस चलना है
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल।।
रास्ता लंबा है पैरों में छाले लाजमी होगे
दर्द बेपन्हा होगा देखकर,
तुझे ना टूटना है ना तू झुकना ना
मंजिल तक पहुंचेगा सफर
बस चलना है
बस चलना है
चलता चल मुसाफिर चल ताजा।।
जब सताने लगेंगी परिवार की बंदिशे
तू रुकना ना तू मुड़ना ना
मतलबी कहेगा जमाना सारा
याद रखनी है मंजिल तुझे अपनी
मेहनत करेगा पसीना बहेगा
मिलेगी जिंदगी अच्छी सबको
बस बढ़ता चल
बस बढ़ता चल
चलता चल मुसाफिर चलता चल।।
चमक धमक देखकर
मंज़िल से बहकना ना
याद रखना अपने हालत पुराने
टूटा मकान छूटे रिश्ते
तू भूलना ना तू चूकना ना
कर्मभूमि में अपना योगदान देता चल
चलता चल मुसाफिर चलता चल ।।
मुसाफिर (संघर्ष गीत)।
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
मिलेगी मंज़िल कटेगे दुःख
चलता चल मुसाफ़िर चलता चल
कोई न समझेगा दुख तेरा
अपने पथ पर आगे बढ़ता चल
आगे बढ़ता चल