हम दुनिया में जीने आए थे लेकिन एक दूसरे को जीने नह | हिंदी कविता

"हम दुनिया में जीने आए थे लेकिन एक दूसरे को जीने नहीं दिया रिश्ते बनकर जो आए थे उन्हें भी भुला दिया।।l घर बनाने के सपने में कितनो को गिरा दिया चार दीवारों के घर में खुद को अकेला कर दिया।। पैसों कि लालच की ज्यादा खुद के ईमान को बेच दिया जिसकी नजरो से उठा था उनकी ही नजरो में गिर गया। अब ना अपने रहे ना वो सपने रहे ज़िंदा लाश हूं में कफ़न में लपेटने को, कोई ना रहे।। - Mahavyr कविता अच्छी लगी हो तो जरूर comment कर के बताए"

 हम दुनिया में जीने आए थे
लेकिन एक दूसरे को जीने नहीं दिया
रिश्ते बनकर जो आए थे
उन्हें भी भुला दिया।।l

घर बनाने के सपने में
कितनो को गिरा दिया
चार दीवारों के घर में
खुद को अकेला कर दिया।।

पैसों कि लालच की ज्यादा
खुद के ईमान को बेच दिया
जिसकी नजरो से उठा था
उनकी ही नजरो में गिर गया।

अब ना अपने रहे 
ना वो सपने रहे
ज़िंदा लाश हूं में
कफ़न में लपेटने को,
 कोई ना रहे।।
   - Mahavyr
कविता अच्छी लगी हो तो जरूर comment कर के बताए

हम दुनिया में जीने आए थे लेकिन एक दूसरे को जीने नहीं दिया रिश्ते बनकर जो आए थे उन्हें भी भुला दिया।।l घर बनाने के सपने में कितनो को गिरा दिया चार दीवारों के घर में खुद को अकेला कर दिया।। पैसों कि लालच की ज्यादा खुद के ईमान को बेच दिया जिसकी नजरो से उठा था उनकी ही नजरो में गिर गया। अब ना अपने रहे ना वो सपने रहे ज़िंदा लाश हूं में कफ़न में लपेटने को, कोई ना रहे।। - Mahavyr कविता अच्छी लगी हो तो जरूर comment कर के बताए

#Real #feelings

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