हम दुनिया में जीने आए थे
लेकिन एक दूसरे को जीने नहीं दिया
रिश्ते बनकर जो आए थे
उन्हें भी भुला दिया।।l
घर बनाने के सपने में
कितनो को गिरा दिया
चार दीवारों के घर में
खुद को अकेला कर दिया।।
पैसों कि लालच की ज्यादा
खुद के ईमान को बेच दिया
जिसकी नजरो से उठा था
उनकी ही नजरो में गिर गया।
अब ना अपने रहे
ना वो सपने रहे
ज़िंदा लाश हूं में
कफ़न में लपेटने को,
कोई ना रहे।।
- Mahavyr
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#Real #feelings