"जो शासन में हो वह बुद्धिमान भी हो परंतु पूँजी उसके पास न रहे। बिच्छू भय के लिए हो परंतु डंक मारने के लिए नही। बुद्धि और पूँजी का योग बिच्छू की डंक की भाँति सुखद है। बुद्धि को पूँजी से अलग करने पर बिच्छू के डंक अपने आप ही टूट जाएंगे।
- मुंशी प्रेमचंद...
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