White रंग बदलता, रूप बदलता, हर पल खुद में उलझता। | हिंदी कविता

"White रंग बदलता, रूप बदलता, हर पल खुद में उलझता। क्या हूं वक्त का एक अंश, या अनंत आकाश का हिस्सा अदृश्य। खोज रहा हूं आज भी जवाब मैं, रोशनी हूं या अंधेरों का स्रोत मैं। आशाओं में बंधी सांसों की डोर हूं मैं, कौन हूं मैं, आया नहीं आज तक समझ मैं। आरंभ हूं या अंत हूं, किसी सवाल का मंत हूं। कौन हूं मैं, आज तक न खुद को जान पाया, सृष्टि का कौन-सा मैं रंग हूं बनाया। कसक हूं, प्यास हूं, प्रेम की मिठास हूं। उलझते रिश्तों की बनती आस हूं, बदलते लम्हों का झिलमिल प्रकाश हूं। ©aditi the writer"

 White रंग बदलता, रूप बदलता,
हर पल खुद में उलझता।

क्या हूं वक्त का एक अंश,
या अनंत आकाश का हिस्सा अदृश्य।
खोज रहा हूं आज भी जवाब मैं,
रोशनी हूं या अंधेरों का स्रोत मैं।

आशाओं में बंधी सांसों की डोर हूं मैं,
कौन हूं मैं, आया नहीं आज तक समझ मैं।
आरंभ हूं या अंत हूं,
किसी सवाल का मंत हूं।

कौन हूं मैं, आज तक न खुद को जान पाया,
सृष्टि का कौन-सा मैं रंग हूं बनाया।
कसक हूं, प्यास हूं,
प्रेम की मिठास हूं।

उलझते रिश्तों की बनती आस हूं,
बदलते लम्हों का झिलमिल प्रकाश हूं।

©aditi the writer

White रंग बदलता, रूप बदलता, हर पल खुद में उलझता। क्या हूं वक्त का एक अंश, या अनंत आकाश का हिस्सा अदृश्य। खोज रहा हूं आज भी जवाब मैं, रोशनी हूं या अंधेरों का स्रोत मैं। आशाओं में बंधी सांसों की डोर हूं मैं, कौन हूं मैं, आया नहीं आज तक समझ मैं। आरंभ हूं या अंत हूं, किसी सवाल का मंत हूं। कौन हूं मैं, आज तक न खुद को जान पाया, सृष्टि का कौन-सा मैं रंग हूं बनाया। कसक हूं, प्यास हूं, प्रेम की मिठास हूं। उलझते रिश्तों की बनती आस हूं, बदलते लम्हों का झिलमिल प्रकाश हूं। ©aditi the writer

#sad_quotes @Rj..... आगाज़ @R Jain @it's_ficklymoonlight

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