दिलों को तोड़ देती है, ज़हन में हो अगर नफरत। ज़रा | हिंदी शायरी

"दिलों को तोड़ देती है, ज़हन में हो अगर नफरत। ज़रा सा प्यार कम करना, नहीं करना मगर नफ़रत। ठहरती है किनारे पर, कहां उल्फत कभी आकर। डुबाए एक पल में जो, समझ लो है भंवर नफरत।। अर्चना झा ©Archana Jha"

 दिलों को तोड़ देती है, ज़हन में हो अगर नफरत।
ज़रा सा प्यार कम करना, नहीं करना मगर नफ़रत।
ठहरती है किनारे पर, कहां उल्फत कभी आकर।
डुबाए एक पल में जो, समझ लो है भंवर नफरत।।
अर्चना झा

©Archana Jha

दिलों को तोड़ देती है, ज़हन में हो अगर नफरत। ज़रा सा प्यार कम करना, नहीं करना मगर नफ़रत। ठहरती है किनारे पर, कहां उल्फत कभी आकर। डुबाए एक पल में जो, समझ लो है भंवर नफरत।। अर्चना झा ©Archana Jha

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