मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया और बाते होनी शुरु हुई ये बाते होती रही मेरे दफ्तर पहुँचने तक अब यह कॉल हर सुबह आने लगा और यह हर रोज का सिलसिला सा बन गया और बहुत जल्दी ही यह मेरी आदत में भी शामिल हो गया।
लेकिन एक सुबह मैं तैयार हो चुका था तब भी मेरी नजरें फोन पर थी मैं टिफिन पैक कर रहा था लेकिन कान फोन की ओर ही थे दफ्तर पहुँचने तक ख्याल फोन का था सुबह से दोपहर हुई और फिर रात लेकिन उस दिन कॉल नहीं आया और उस दिन सिलसिला यहीं टूट गया लेकिन हर सुबह मुझे उसी तरह आज भी दफ्तर जाने तक इंतजार रहता उस कॉल का कि एक दिन दुबारा वह कॉल आएगा।
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