पत्थर की तरह दिल को तराशा है बार-बार
एक ताजमहल हमने बनाया है बार-बार
हम तो वफा की राह पे तन्हा ही रह गए
पर रहगुजर पे तुमको तलाशा है बार-बार
आए हैं उसी मोड़ पे, है अपना नहीं कोई
इस शहर ने दीवाने को ठुकराया है बार-बार
माना कि तेरे हुस्न के काबिल नहीं हूं मैं
पर इश्क तेरे दर पे मुझे लाया बार-बार
©Nizam Ansari
#SAD Sayrii